राजस्थान के कोटा शैक्षणिक नगरी, औद्योगिक नगरी, पर्यटन नगरी के रूप में अपनी पहचान रखता है

इसके साथ ही कोटा को धार्मिक नगरी भी कहा जाता है

यहां प्राचीन एक से बढकर एक मंदिर हैं जिनकी अपनी विशेष ख्याती है

ऐसे ही एक मंदिर कोटा से 32 किलोमीटर दूर दीगोद क्षेत्र के डूंगरज्या गांव में आता है

जहां 28 साल से रामायण चल रही है और 29वें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है

यहां गांव के लोगों ने ही अपनी क्षमता और सामर्थ से इसे विकसित किया है

यहां तालाब में कमल खिलते है तो तालाब के बीच टापू पर बने हनुमान मंदिर पर दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है

पिछले 28 सालों से यहां राम नाम गूंज रहा है, जहां दिन-रात दिन रामचरित्र मानस का पाठ किया जा रहा है

आमजन की मेहनत ने इस क्षेत्र को विख्यात कर दिया है

वहीं, ग्रामीणों ने अपनी मेहनत ने तालाब के बीच टापू पर सुंदर गार्डन तैयार कर दिया है

मंदिर एक बीच टापू पर बना है और चारो तरफ पानी ही पानी है

यहां विभिन्न प्रजातियों के फूल व फलों के पौधे देखते ही मन मोह लेते है

पर्यटन विभाग ने इसे पयर्टन स्थल के रूप में घोषित कर रखा है

बता दें, डूंगरज्या गांव का कमल सरोवर करीब 218 बीघा यानी 32 हैक्येटर में फैला हुआ है

मंदिर जाने के लिए 300 फीट से ज्यादा लम्बी पुलिया आकर्षण का केन्द्र है

यहां एक छोटे चबूतरे पर हनुमान प्रतिमा रखी हुई थी

20 जनवरी 1996 को बाबा कमलदास महाराज ने अखण्ड रामायण पाठ की शुरूआत के साथ मंदिर में स्थिापित किया था

तभी से यहां निरंतर रामायण का पाठ दिन रात अखंड रूप में चल रहा है

ग्रामीणों व जनसहयोग से वर्ष 2000 में हनुमान मंदिर का भव्य निर्माण करवाया गया