कार्तिक कृष्ण की चतुर्दशी के दिन रूप चतुर्दशी त्योहार मनाया जाता है.

इसे नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है.

रूप चतुर्दशी के दिन श्री कृष्ण ने नरकासुर से 16 हजार स्त्रियों को कैद से मुक्त कराया था.

कैद में स्त्रियों ने अपना रूप खो दिया. ऐसे में उन स्त्रियों ने शरीर पर उबटन और तेल मालिश की.

साथ ही 16 ऋंगार किया जिससे उबटन से उनका रूप निखर आया था.

तब से ही रूप चतुर्दशी के दिन सरसों का तेल की मालिश और उबटन का चलन शुरू हो गया.

इस दिन सुबह के समय शरीर पर उबटन लगाने और तेल मालिश का विशेष महत्व है.

इतना ही नहीं, शाम के समय यम के नाम का दीपक जलाने की भी परंपरा है.

मान्यता है कि ऐसा करने से सौंदर्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

साथ ही, नरक की यातनाओं से भी मुक्ति मिलती है.