शाहजहां को मुमताज से पहली नजर में ही प्यार हो गया था

कहा जाता है कि दोनों की मुलाकात एक बाजार में हुई थी

मुमताज को शाहजहां ने बाजार में साड़ी बेचते हुए देखा था

इसके बाद शाहजहां मुमताज का दीदार के लिए रोज बाजार का चक्कर लगाने लगा था

उसके बाद दोनों की सगाई हुई थी

सगाई होने के पांच साल बाद 10 मई 1612 को दोनों का निकाह हुआ

शाहजहां और मुमताज की मिसालें आज प्रेम की इमारत के रूप में दी जाती है

मुमताज की मौत के बाद शाहजहां टूट चुके थे

इसके बाद मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था.