शाहजहां ने मुमताज को पहली नजर में ही अपना दिल दे दिए थे

देखते ही उनको मुमताज से मोहब्बत हो गई थी

दोनों की पहली मुलाकात बाजार में हुई थी

मुमताज को शाहजहां ने बाजार में साड़ी बेचते हुए देखा था

जिसके बाद वह मुमताज को देखने रोज बाजार जाते थे

कुछ दिनों बाद दोनों की सगाई हो गई

सगाई के 5 साल बाद दोनों का निकाह हुआ

दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे

दोनों की मिसालें आज भी प्रेम की इमारत के रूप में दी जाती है

मुमताज की मौत के बाद शाहजहां टूट गए थे

जिसके बाद उन्होंने अपनी बेगम की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था