शनि देव भगवान शिव के परम भक्त थे. भगवान शिव के एक अवतार पिप्पलाद थे जिनके कारण शनि देव लंगड़े हुए थे.



पुराणों के अनुसार, भगवान शिव के एक अवतार पिप्पलाद, दधीचि मुनि के पुत्र थे.



भगवान ब्रह्रा ने इनका नाम पिप्पलाद रखा, क्योंकि उन्होने पीपल के पत्तों को खाकर तप किया.



पिप्पलाद के जन्म के बाद ही इनके पिता दधीचि मुनि की मृत्यु हो गई.



पिप्पलाद बड़े हुए तो अपने पिता के मृत्यु का कारण पूंछा



तो पता चला कि शनिदेव की कुदृष्टि के कारण उनकी मृत्यु हुई.



कारण जानकार पिप्पलाद बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने शनिदेव के ऊपर ब्रह्रादंड का प्रहार किया.



शनि देव ब्रह्रादंड का प्रहार नहीं सह सकते थे. इसके डर से शनि देव भागने लगे.



तीनों लोको के बाद भी ब्रह्रादंड ने शनि देव का पीछा नहीं छोड़ा और आकर उनके पैरों पर लग गया.



तभी से शनि देव लंगड़े होकर चलने लगे.