शिल्पा के इन डायलॉग्स को आज भी दर्शक दोहराते नज़र आते हैं
है मेरी किस्मत फूटी...बुद्धे पर फिर नींद की बिजली टूटी
अब ये दुनिया, ये महफिल मेरे काम की नहीं... वैजंती की जवानी कोई दाम की नहीं
ये आंसू मेरे दिल की जुबां है... मेरे वास्ते ना कोई घर है, ना मकान है
जो दिल के करीब होते हैं ना ... उनके रंग, रूप और महक कभी नहीं जाते
परफेक्ट आदमी सिर्फ किताबों में मिलते हैं
मुझे तो यहां हर मर्द की नजर में सिर्फ भुख और हवस नजर आती है... लेकिन अर्जुन की नजर में मुझे इमान और इज्जत नजर आती है