शास्त्रों में सूतक काल को अशुभ माना है. सूतक यानी अशुद्ध अवधि. जन्म-मरण, ग्रहण में सूतक काल बहुत महत्वपूर्ण है.

साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को वैशाख अमावस्य पर लगेगा, हालांकि ये भारत में दिखाई नहीं देगा.

सूतक में धार्मिक, सामाजिक कार्य न करना, घर से बाहर न निकलने की मनाही होती है. सूर्य ग्रहण में सूतक 12 घंटे पहले लगता है.

सूतक के दिन और समय का निर्धारण अलग-अलग होता है. जन्म के समय सूतक बच्चे की छटी पूजन के बाद खत्म होता है.

जन्म के बाद परिवार को 10 दिन के सूतक का पालन करना होता है. इसके बाद ही पूजा की जाती है.

सूर्य ग्रहण के समय लगने वाले सूतक की समाप्ति ग्रहण मोक्ष के साथ ही होती है. इसके बाद गंगाजल से स्नान कर ही पूजा की जाती है.

जन्म की प्रक्रिया के समय नाल काटा जाता है, शास्त्रों में इसे अशुद्धि कहते है. यही वजह है अपवित्र होने के चलते प्रभू की साधना करना मना है.

ग्रहण के समय देवीय शक्तियों का प्रभाव कम होकर असुरी शक्तियों का प्रभाव तेज हो जाता है. इसमें की गई प्रभू की पूजा सफल नहीं होती.