ताजमहल को तो सभी जानते हैं, लेकिन क्‍या आप उस चीज के बारे में जानते हैं जो ताज से भी दोगुनी लागत से बनी



मुगलों के दौर की अगर कोई सबसे बेशकीमती चीज मानी जाएगी तो वो 'तख्त-ए-ताऊस' होगी



'तख्त-ए-ताऊस' दरअसल, उसी बादशाह द्वारा बनवाया गया था, जिसने ताजमहल (Taj Mahal) को बनवाया



शाहजहां (Shah Jahan) का नायाब मयूर सिंहासन 'तख्त-ए-ताऊस' कहलाता था



ताजमहल की कीमत से दोगुनी लागत से बना 'तख्त-ए-ताऊस' शायद उस दौर में दुनिया का सबसे महंगा सिंहासन था



उसमें लगे बेशकीमती मोती, माणिक, पन्ने, हीरे और सोने ने मयूर सिंहासन को बेमिसाल बना दिया



कहते हैं कि इस सिंहासन के लिए शाहजहां ने सैकड़ों हीरे-मोती-माणिक और एक लाख तोला सोना दिया था



मयूर सिंहासन एक प्रसिद्ध रत्नमय सिंहासन था जो भारत में मुगलकाल की याद दिलाता है



यह सिंहासन 7 साल में बन कर तैयार हुआ था



शाहजहां 22 मार्च 1635 को मयूर सिंहासन पर बैठा था



उस सिंहासन में 3 प्रमुख कवियों कलीम, सैदा और कुदसि की कविताएं उकेरी गई थीं



सिंहासन के ऊपर 2 मोर की आकृतियां बनी हुई थीं, उन मोरों की पीठ पर रत्न जड़े हुए थे



108 माणिक और 116 पन्ने सिंहासन के बाहरी हिस्सों में लगे हुए थे



हर माणिक का वजन 100 से 200 कैरट और हर पन्ने का वजन 30 से 60 कैरट के बीच था



तीन रत्न जड़ित पायदानों से चढ़कर मुगल बादशाह शाहजहां उस सिंहासन पर बैठता था



सिंहासन की यह जगह दिल्ली के लाल किले में दीवान-ए-ख़ास में मौजूद है



मयूर सिंहासन, 1739 में भारत से फारसियों द्वारा कब्जा कर लिया गया था



मुगल-काल का बेहतरीन नमूना आज हमारे बीच न हो, लेकिन इसके बेशकीमती हीरे, पन्ने, मोती आज भी दुनिया के बड़े खजानों में मौजूद हैं



कोहिनूर हीरा (Kohinoor Diamond) भी मुगल-काल का हिस्सा बताया जाता रहा है.