'तवायफों को कंजरी नहीं कंचनी कहा जाए', जब अकबर ने दिया हुक्‍म



प्राचीन भारत में नाचने गाने वाली महिलाओं को कंजरी कहा जाता था



मुगल बादशाह अकबर ने एक दिन 'कंजरी' को 'कंचनी' कहने का दे दिया आदेश



अकबर के दिए गए कंचनी शब्द का मतलब होता है सुनहरी



कुशल गायिकाओं और नृत्यांगनाओं को कहा जाता था कंचनी



वहीं निपुण संगीतकारों को तवायफ का दिया गया था नाम



समाज में पहले भी मौजूद थी तवायफें



दरबारों में मर्द बजाते थे संगीत वाद्ययंत्र और कंचनियां करती थी गायन-नृत्य



प्राण नेवेल की किताब 'नॉच गर्ल्स ऑफ इंडिया' में है तवायफों की राजनीतिक पहुंच का जिक्र



तवायफों से जुड़ा होना दौलत और सभ्यता का माना जाता था प्रतीक



शरीफ खानदान के बेटों को तहजीब और अदब सीखने के लिए भेजा जाता था इनके पास