पेट्रोल पंप की मशीनें बेहद सटीक तरीके से डिज़ाइन की जाती हैं, ताकि ग्राहकों को सही मात्रा में ईंधन दिया जा सके. ये मशीनें इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और सॉफ़्टवेयर से नियंत्रित होती हैं.

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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पेट्रोल पंप की मशीनों को नियमित रूप से कैलिब्रेट किया जाता है, ताकि हर बार सही मात्रा में ईंधन डिलीवर हो सके. सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार यह जांच की जाती है.

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अगर मशीन के सॉफ़्टवेयर या हार्डवेयर में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है, तो ईंधन की मात्रा में हेरफेर किया जा सकता है. इसे रोकने के लिए मशीनों में सुरक्षा उपाय होते हैं.

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पेट्रोल पंप मशीन में एक फ्लो मीटर होता है, जो यह मापता है कि कितनी मात्रा में ईंधन डिस्पेंस किया जा रहा है. अगर इस फ्लो मीटर के साथ छेड़छाड़ की जाती है, तो मात्रा को बदला जा सकता है.

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आधुनिक पेट्रोल पंप मशीनें इलेक्ट्रॉनिक होती हैं, जिनमें सॉफ़्टवेयर होता है. अगर सॉफ़्टवेयर को हैक किया जाता है, तो ईंधन की सटीक मात्रा में बदलाव किया जा सकता है.

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मशीन के डिस्प्ले पर छेड़छाड़ की जा सकती है, जिससे ग्राहक को दिखाई जाने वाली मात्रा और वास्तविक डिस्पेंस की गई मात्रा में फर्क हो सकता है.

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पेट्रोल पंप मशीनों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा सील लगाई जाती है, ताकि मशीन के भीतर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को रोका जा सके. सील टूटी होने पर छेड़छाड़ का संकेत मिल सकता है.

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सरकार और स्थानीय प्राधिकरण नियमित रूप से पेट्रोल पंप मशीनों का निरीक्षण करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हो रही है.

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ग्राहक भी पेट्रोल की मात्रा और कीमत पर नज़र रख सकते हैं. अगर किसी को लगता है कि मशीन से सही मात्रा में ईंधन नहीं मिल रहा है, तो वह इसकी शिकायत कर सकता है.

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अगर किसी पेट्रोल पंप पर छेड़छाड़ की जाती है, तो इसके लिए कड़ी सजा और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है. सरकार इस पर सख्त नजर रखती है.

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