हैकर्स नकली ईमेल भेजते हैं, जो आधिकारिक यूट्यूब या ब्रांड्स के जैसे दिखते हैं, और क्रिएटर्स से उनकी जानकारी मांगते हैं. हैकर्स नकली ब्रांड्स के नाम पर स्पॉन्सरशिप का ऑफर देकर क्रिएटर्स को फंसाते हैं. ईमेल या मैसेज में मालवेयर से भरे हुए लिंक्स भेजकर डिवाइस हैक करते हैं. हैकर्स फर्जी लॉगिन पेज बनाकर क्रिएटर्स की यूट्यूब आईडी और पासवर्ड चुरा लेते हैं. चुराई गई जानकारी का इस्तेमाल कर चैनल का कंट्रोल अपने हाथ में ले लेते हैं. हैकर्स चैनल का नाम बदलकर स्कैम प्रमोट करने लगते हैं, जैसे नकली क्रिप्टो स्कीम. हैकर्स के कारण फॉलोअर्स और क्रिएटर्स का संबंध खराब हो सकता है. कई बार हैकर्स चैनल वापस देने के लिए पैसे मांगते हैं. जिन क्रिएटर्स ने टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन नहीं लगाया होता, वे अधिक असुरक्षित होते हैं. हैकर्स उन क्रिएटर्स को ज्यादा टारगेट करते हैं, जो साइबर सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते.