AI की मदद से मरे हुए लोगों के आधार पर डिजिटल अवतार बनाए जा सकते हैं, जो उनकी आवाज़, चेहरे के हावभाव और बोलने के तरीके की नकल करते हैं.
AI टेक्नोलॉजी उनके पूर्व संदेशों और इंटरैक्शन से सीखकर चैटबॉट बना सकती है, जो मरे हुए व्यक्ति की तरह जवाब देती है.
AI, आवाज़ को विश्लेषित कर उसे पुनः बनाता है, जिससे मरे हुए व्यक्ति की आवाज़ को फिर से सुना जा सकता है.
AI की मदद से पुराने वीडियो और फोटो का उपयोग करके मरे हुए लोगों के वीडियो बनाए जा सकते हैं, जिससे ऐसा लगता है जैसे वे फिर से जिंदा हो गए हों.
AI, मरे हुए व्यक्ति की यादों, सोशल मीडिया पोस्ट्स और इंटरैक्शन का विश्लेषण कर उनके जीवन की एक डिजिटल कहानी बना सकता है.
वर्चुअल रियलिटी (VR) और AI का उपयोग करके मरे हुए लोगों के साथ संवाद का एक इमर्सिव अनुभव दिया जा सकता है, जैसे वे असल में सामने हों.
AI आधारित वर्चुअल मेमोरियल बनाए जा रहे हैं, जहाँ लोग मरे हुए व्यक्ति के डिजिटल अवतार से बात कर सकते हैं या उनकी यादों का अनुभव कर सकते हैं.
AI, व्यक्ति के डिजिटल डेटा (जैसे ईमेल, टेक्स्ट्स, सोशल मीडिया) का उपयोग करके उनकी सोचने और संवाद करने की शैली को नकल कर सकता है.
AI द्वारा बनाया गया मरे हुए व्यक्ति का डिजिटल वर्जन भावनात्मक सपोर्ट प्रदान करने के लिए उपयोग किया जा सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो उनके खोने से दुखी हैं.
यह तकनीक नैतिक रूप से विवादास्पद भी है, क्योंकि यह सवाल उठाता है कि क्या मरे हुए लोगों की निजता और यादों का इस तरह से उपयोग करना सही है या नहीं.