मेट्रो स्टेशन पर मौजूद बॉडी स्कैनर मिलिमीटर वेव टेक्नोलॉजी या एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जो व्यक्ति के कपड़ों के नीचे छिपी किसी भी संदिग्ध वस्तु को पहचान सकते हैं.

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यह तकनीक व्यक्ति के शरीर पर एक मिलिमीटर वेव रेडियो फ्रीक्वेंसी भेजती है, जो शरीर से टकराकर वापस आती है और स्कैनर छवि बनाता है. यह तकनीक पूरी तरह से सुरक्षित है और बिना किसी स्वास्थ्य खतरे के काम करती है.

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बॉडी स्कैनर का मुख्य उद्देश्य मेटल डिटेक्टर की तुलना में अधिक प्रभावी तरीके से छिपे हुए हथियार, विस्फोटक या अन्य खतरनाक सामग्री का पता लगाना होता है.

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बॉडी स्कैनर व्यक्ति के शरीर को बिना छुए स्कैन करता है, जिससे किसी तरह की असुविधा नहीं होती है.

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व्यक्ति को स्कैनर के अंदर कुछ सेकंड तक खड़ा रहना पड़ता है, जबकि मशीन उसकी पूरी बॉडी का थ्री-डायमेंशनल इमेज तैयार करती है.

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बॉडी स्कैनर द्वारा बनाई गई छवि अमूर्त होती है, जिसमें व्यक्ति की निजी पहचान नहीं होती है. साथ ही, स्कैन की गई छवि तुरंत हटा दी जाती है.

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आधुनिक बॉडी स्कैनर में ऑटोमेटेड डिटेक्शन सिस्टम होते हैं, जो संदिग्ध वस्तुओं की उपस्थिति का तुरंत पता लगाते हैं और अलार्म बजाते हैं.

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स्कैनर कपड़ों या जूतों से बाधित नहीं होता है, इसलिए व्यक्ति के कपड़ों के नीचे छिपाई गई किसी भी वस्तु का पता आसानी से चल सकता है.

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एक बॉडी स्कैनर आमतौर पर कुछ ही सेकंड में स्कैनिंग कर लेता है, जिससे मेट्रो स्टेशन पर भीड़ को नियंत्रित किया जा सकता है और यात्रियों की सुरक्षा जांच तेजी से हो सकती है.

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बॉडी स्कैनर का उपयोग कई देशों में व्यापक रूप से होता है, और यह सुरक्षा के उच्च मानकों को पूरा करने के लिए प्रमाणित होते हैं. मेट्रो स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है.

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