आजकल शॉर्ट वीडियो बनाना और उसे देखना काफी ट्रेंडिंग काम बन गया है.

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इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब कुछ ऐसे शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म्स हैं, जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं.

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आजकल के ज्यादातर बच्चे अपनी दिनचर्या का ज्यादातर वक़्त इन प्लेटफॉर्म्स पर शॉर्ट वीडियो देखने में बिताते हैं.

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इससे बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं. आइए जानते हैं कि इसके बारे में रिसर्च क्या कहती है?

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शोधकर्ताओं ने चीन के 1000 व्यवसायिक छात्रों पर इसके बारे में शोध किया.

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इस रिसर्च में सामने आया कि 70% छात्र ऐसे हैं, जो अपने बेहद ज़रूरी काम के बीच में भी समय निकालकर रील्स देखते हैं.

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50% छात्रों ने माना है कि रील्स की वजह से उनके पढ़ाई-लिखाई के प्रदर्शन में गिरावट आई है.

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40% छात्रों ने माना कि रील्स की वजह से उनके मानसिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

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30% छात्रों ने माना कि रील्स की वजह से उनके सामाजिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है. मनोचिकित्सक का ऐसा मानना हैं कि शॉर्ट वीडियो की लत के बारे में जागरूकता फैलाना ज़रूरी है, और इसकी जगह बच्चों में अच्छी आदतों को डालना ज़रूरी है.

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