हेड ऑन जनरेशन (HOG) सिस्टम बिजली की सप्लाई लोकोमोटिव (इंजन) से शुरू होती है, जो पूरे ट्रेन के कोच में बिजली पहुंचाती है. ट्रेन के ऊपर लगे ओवरहेड वायर से बिजली इंजन तक पहुंचती है, जहां से यह कोचों में वितरित होती है. कुछ ट्रेनों में अलग से जनरेटर कार होती है, जो बिजली पैदा करती है और इसे हर कोच में भेजती है. इंजन पर लगा पैंटोग्राफ ओवरहेड वायर से बिजली खींचता है और उसे ट्रेन के भीतर वितरित करता है. हर कोच में एक डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स होता है, जो बिजली को पंखे, लाइट, और अन्य उपकरणों में वितरित करता है. बिजली की सप्लाई कोचों तक कम वोल्टेज (एलटी) में पहुंचाई जाती है, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित होती है. हर कोच में बैटरी बैकअप होता है, जो बिजली कटने पर लाइट और फैन को कुछ समय तक चालू रखता है. एसी कोच में बिजली की अधिक खपत होती है, जिसके लिए अलग से ट्रांसफॉर्मर और वोल्टेज कन्वर्टर का इस्तेमाल किया जाता है. कुछ आधुनिक ट्रेनों में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम होता है, जो ब्रेक लगने पर उत्पन्न ऊर्जा को वापस बिजली में बदलकर सिस्टम में भेजता है. ट्रेन के बिजली सप्लाई सिस्टम का नियमित निरीक्षण और रखरखाव होता है, ताकि कोई बाधा न आए और हर कोच तक बिजली सुचारू रूप से पहुंचे.