Solar Panel में लगे फोटोवोल्टिक (PV) सेल सूर्य की रोशनी को सीधे बिजली में बदलते हैं. यह प्रक्रिया फोटोवोल्टिक प्रभाव पर आधारित है.

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PV सेल्स सिलिकॉन की परतों से बने होते हैं. जब सूर्य की किरणें इन पर पड़ती हैं, तो इलेक्ट्रॉनों को गति मिलती है, जिससे विद्युत धारा उत्पन्न होती है.

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सूर्य से आने वाले फोटॉन्स (प्रकाश कण) सिलिकॉन परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों को ऊर्जा देते हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनों की गति तेज होती है और एक विद्युत प्रवाह उत्पन्न होता है.

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सोलर पैनल DC (डायरेक्ट करंट) उत्पन्न करता है, जिसे हम इन्वर्टर की मदद से AC (अल्टरनेटिंग करंट) में बदलते हैं, ताकि इसे घरों और उद्योगों में उपयोग किया जा सके.

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इन्वर्टर DC को AC में बदलता है और यह सुनिश्चित करता है कि बिजली का उपयोग हमारे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा सही तरीके से हो.

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ग्रिड कनेक्टेड सिस्टम में सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली सीधे ग्रिड में जाती है. इससे आवश्यकता से अधिक बिजली उत्पन्न होने पर इसे ग्रिड में भेजा जा सकता है.

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इस प्रकार के सिस्टम में बैटरी का उपयोग होता है, जिससे रात में भी सोलर पैनल से उत्पन्न बिजली का उपयोग किया जा सकता है.

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सोलर पैनल से उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को बैटरी में संग्रहित किया जा सकता है, जिसे बाद में उपयोग में लाया जा सकता है.

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सोलर पैनल का उपयोग पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि इसमें कोई हानिकारक उत्सर्जन नहीं होता, जिससे प्रदूषण में कमी आती है.

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सोलर पैनल की उम्र आमतौर पर 20-25 साल होती है और इसका रखरखाव भी कम होता है, जिससे यह एक किफायती ऊर्जा स्रोत बनता है.

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