स्मार्टफोन की वाटरप्रूफिंग का स्तर जानने के लिए IP (Ingress Protection) रेटिंग का उपयोग होता है. यह रेटिंग बताती है कि डिवाइस पानी और धूल के खिलाफ कितनी सुरक्षा प्रदान करता है, जैसे IP67 या IP68.
वाटरप्रूफ टेस्टिंग से पहले स्मार्टफोन की इंटरनल सीलिंग और पोर्ट्स को चेक किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कहीं से पानी अंदर न जाए.
इस टेस्ट में स्मार्टफोन को थोड़े से पानी की बौछार के संपर्क में लाया जाता है. यह देखना होता है कि पानी का हल्का दबाव झेलने पर डिवाइस पर कोई असर होता है या नहीं.
सबमर्जन टेस्ट में स्मार्टफोन को कुछ समय के लिए पानी में डुबोया जाता है. IP67 वाले डिवाइस को एक मीटर गहरे पानी में 30 मिनट और IP68 वाले को उससे ज्यादा गहराई में टेस्ट किया जाता है.
यह टेस्ट उन स्मार्टफोन पर किया जाता है जो उच्च वाटरप्रूफ रेटिंग के साथ आते हैं. इसमें पानी को एक तेज जेट स्प्रे के रूप में डिवाइस पर छोड़ा जाता है ताकि उसकी सीलिंग क्षमता को जांचा जा सके.
स्मार्टफोन को एक ह्यूमिडिटी चेंबर में रखा जाता है जहाँ उच्च तापमान और नमी का वातावरण बनाया जाता है, जिससे पता चलता है कि अधिक नमी में डिवाइस कैसे प्रतिक्रिया करता है.
समुद्री पानी या नमकीन पानी में स्मार्टफोन की टेस्टिंग की जाती है ताकि देखा जा सके कि यह नमक और पानी के मिश्रण से प्रभावित होता है या नहीं. हालांकि, ज्यादातर स्मार्टफोन ताजे पानी के लिए ही वाटरप्रूफ होते हैं.
स्मार्टफोन के चार्जिंग पोर्ट्स, हेडफोन जैक, और स्पीकर्स पर पानी के असर की जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पानी के संपर्क में आने पर ये सही से काम कर सकें.
पानी से निकालने के बाद स्मार्टफोन को सुखाया जाता है और फिर तुरंत उसके फंक्शंस (जैसे कैमरा, स्क्रीन, टच, और स्पीकर) की जांच की जाती है ताकि देखा जा सके कि पानी का कोई असर तो नहीं हुआ.
लैब टेस्ट के बाद स्मार्टफोन को रियल वर्ल्ड कंडीशंस में भी टेस्ट किया जाता है जैसे बारिश, पानी के छींटे, और दैनिक उपयोग में पानी से संपर्क में आना.