जानकारी के मुताबिक एरोप्लेन की हेडलाइट्स (लैंडिंग लाइट्स) लगभग 600 वॉट की होती हैं, जो कार की हेडलाइट्स से 10 गुना ज्यादा ताकतवर हैं.

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इन लाइट्स का उद्देश्य दूर से विमान को पहचानने में मदद करना है, और इन्हें 100 मील दूर से भी देखा जा सकता है.

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लैंडिंग लाइट्स का मुख्य उपयोग टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान होता है, ताकि विमान की दिशा और उपस्थिति स्पष्ट हो सके.

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ये लाइट्स दिन और रात दोनों समय में विमान की दृश्यता बढ़ाने के लिए उपयोग होती हैं, खासकर जब विमान भीड़-भाड़ वाले एयरस्पेस में हो.

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विमानों में विभिन्न प्रकार की लाइट्स होती हैं, जैसे कि नेविगेशन, एंटी-कॉलिजन बीकन, और स्टोब लाइट्स, जो अलग-अलग कार्यों के लिए होती हैं.

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एरोप्लेन में लैंडिंग लाइट्स मुख्य रूप से नाक के पास या पंखों के बाहरी हिस्सों में लगाई जाती हैं, जिससे सामने की रोशनी अच्छी मिले.

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इनकी ऊर्जा खपत काफी अधिक होती है, जिससे विमान की बैटरी और जनरेटर को मजबूत बनाना जरूरी होता है.

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रात में ये लाइट्स पायलट्स और ग्राउंड स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करती हैं, लेकिन इन्हें ध्यान से ऑन करना पड़ता है ताकि अन्य को आंखों में चमक से परेशानी न हो.

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आपातकाल की स्थिति में, ये लाइट्स अन्य विमानों और ग्राउंड कर्मियों को संकेत देने में मदद करती हैं.

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सभी विमान में लैंडिंग लाइट्स जरूरी नहीं होती हैं, लेकिन कुछ देशों में रात्रिकालीन उड़ानों के लिए लैंडिंग लाइट्स अनिवार्य होती हैं.

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