Smartphone स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों पर तनाव पैदा करती है और लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने से आंखों में जलन और थकान हो सकती है.

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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मोबाइल का अधिक उपयोग करने से आंखों की पलकें कम झपकती हैं, जिससे आंखों में सूखापन और असुविधा होती है.

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लंबे समय तक मोबाइल देखने से निकट दृष्टि की कमजोरी (मायोपिया) हो सकती है, खासकर बच्चों और किशोरों में.

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लगातार मोबाइल देखने से आंखों में जलन, लालिमा और धुंधलापन महसूस हो सकता है, जिसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है.

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मोबाइल की नीली लाइट मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को कम करती है, जिससे नींद में कठिनाई और अनिद्रा हो सकती है.

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मोबाइल की लाइट से आंखों पर अधिक जोर पड़ने के कारण सिरदर्द और मानसिक तनाव हो सकता है.

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मोबाइल का लंबे समय तक इस्तेमाल आंखों की मांसपेशियों को थका देता है, जिससे आंखों की थकावट और असहजता महसूस होती है.

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कम रोशनी में मोबाइल देखने से आंखों पर अतिरिक्त तनाव पड़ता है, जिससे आंखों की सेहत खराब हो सकती है.

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बार-बार मोबाइल देखने से आंखों की रोशनी में कमी आ सकती है, जिससे भविष्य में चश्मा पहनने की जरूरत पड़ सकती है.

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मोबाइल में ब्लू लाइट फिल्टर या नाइट मोड का उपयोग करने से आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है.

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