किसी भी स्मार्टफोन के सेल्यूलर नेटवर्क पर कनेक्ट करने के लिए सिम कार्ड का होना जरूरी है

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हर सिम कार्ड में ये डाटा होता है और इसे इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यूजर इसे मोबाइल फोन के जरिए एक्सेस न कर पाए

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सिम कार्ड न केवल मोबाइल को सेल्यूलर नेटवर्क से कनेक्ट करता है बल्कि इसके अंदर कई तरह की जानकारियां भी होती हैं

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ये स्टैंडर्ड स्मार्टकार्ड समेत दूसरी इलेक्ट्रॉनिक आइटम पर लागू होता है. इस स्टैंडर्ड में कार्ड के अंदर एक इंटीग्रेटेड सर्किट होता है जिसे सिलिकॉन सब्सट्रेट के ऊपर चिपकाए जाता है.

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दूसरी तरफ मेटल कॉन्टैक्ट्स होते हैं जो सिम कार्ड के गोल्ड कलर के लिए जिम्मेदार होते हैं. यानी जो कलर हमें ऊपर से दिखाई देता है वह मेटल कॉन्टेक्ट्स ही होता है

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तारों के माध्यम से इंटीग्रेटेड सर्किट को मेटल कॉन्टैक्ट से मिलाया जाता है और फिर ये स्मार्टफोन के डेटा कनेक्टर के साथ लगता है

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सिम कार्ड के नेटवर्क साइड की बात करें तो ये एक फोन को सेल्यूलर नेटवर्क के साथ कनेक्ट करने में मदद करती है

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जब एक सब्सक्राइबर किसी दूसरे व्यक्ति का नंबर डायल करता है तो स्मार्टफोन डेटा (ऑथेंटिकेशन key) को नेटवर्क के माध्यम से टेलीफोन एक्सचेंज तक भेजता है

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अगर रिसीवर भी इस एक्सचेंज (उसी ऑपेरटर) के साथ कनेक्ट रहता है तो दोनों के बीच नेटवर्क इस्टैबलिश्ड हो जाता है और कॉल रिसीवर को रूट कर दी जाती है

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यदि रिसीवर किसी दूसरी एक्सचेंज से जुड़ा होता है तो नेटवर्क से जुड़ा एक कंप्यूटर उस कॉल को रूट करने में मदद करता है.

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