मोबाइल फोन लॉन्चिंग के वक्त वर्चुअल रैम का वर्ड जरूर सुना होगा या वेबसाइट पर पढ़ा होगा कि फलाने फोन में इतनी GB वर्चुअल रैम मिलेगी या आप रैम को इतने GB तक बड़ा सकते हैं

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आज जानिए कि आखिर क्या है वर्चुअल रैम और क्या सच में ये आपके फोन को फास्ट बनाती है?

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बहुत सारे ऐप्स को खोलने की वजह से मोबाइल की रैम कम होने लगती है और फिर आप नए ऐप्स को तेजी से नहीं खोल पाते.

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इस परेशानी को खत्म करने के लिए वर्चुअल रैम के कांसेप्ट को लाया गया

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वर्चुअल रैम मोबाइल फोन्स का एक फीचर है जिसमें फोन के इंटरनल स्टोरेज के कुछ हिस्से को रैम के तौर पर रिज़र्व कर दिया जाता है

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जैसे अगर आपके फोन की स्टोरेज 64GB है तो वर्चुअल रैम को लेने के बाद ये 62GB या जितना आप लेंगे उतनी कम हो जाएगी

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अब होगा ये कि जब आपकी फिजिकल रैम फुल हो जाएगी तो तब नए ऐप के लिए जगह वर्चुअल रैम बनाएगी

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जो ऐप पहले से ओपन हैं उनमें से एक ऐप फिजिकल रैम से शिफ्ट होकर वर्चुअल रैम में चले जाएगा और आप नए ऐप को तेजी से खोल पाएंगे

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वर्चुअल रैम, फिजिकल रैम की तरह फ़ास्ट नहीं होती और गूगल भी ये बात अपने डेवलपर पेज पर कहता है

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वर्चुअल रैम फोन के इंटरनल स्टोरेज की लाइफ को कम कर सकती है क्योंकि ये रीड एंड राइट के लिए नहीं बनी है. वर्चुअल रैम बजट फोन्स के लिए ठीक है लेकिन बेहतर यही है कि आप ज्यादा फिजिकल रैम वाला फोन लें.

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