पर्सनल या प्रोफेशन लाइफ में रिजेक्शन मिलने से हर कोई परेशान हो जाता है

हमेशा इत्तेफाक से रिजेक्शन नहीं होता. करियर या पर्सनल लाइफ की आदतें जिम्मेदार होती हैं

कहीं आप भी इन आदतों के लपेटे में तो नहीं आ रहे. इसे पहचानना बेहद जरूरी है

जॉब में रिजेक्शन मिलने के बाद इस घटना से उबरने में कुछ समय लग जाता है

रिजेक्शन के बाद आगे बढ़ने बजाए असफलता और अस्वीकार होने के बारे में सोचते हैं

ऐसा करने पर पर्सनल और प्रोफेशन लाइफ में रिलेशन बिगड़ सकते हैं

अच्छा रहेगा कि इस डर से बाहर निकलकर जिंदगी में बेहतर करें और नई अपॉर्चुनिटी ढूंढे

कई बार फर्क ना पड़ने वाला एटीट्यूड एंग्जाइटी और डिप्रेशन को बढ़ावा देता है

जरूरत से ज्यादा आत्मनिर्भर लोग, जो किसी से मदद नहीं लेते, वो भी जॉब में रिजेक्शन फेस करते हैं