बाबर का पूरा नाम था जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर

उसने भारत में एक नए साम्राज्य की नींव रखी थी

जिसे इतिहास में मुगल सल्तनत के नाम से जाना जाता है

बाबर को अपने जीवन से संबंधित घटनाओं को लिखने का शौक था

जिसका प्रमाण है उसका खुद का लिखा तुजुके बाबरी किताब

सही मायने में यह उसकी आत्मकथा है जो उसने तुर्की भाषा में लिखी थी

इस किताब की भाषा और शैली के आधार पर बाबर की साहित्यिक रुचि का अनुमान लगाया जा सकता है

उसने इस किताब का फारसी में भी अनुवाद करवाया था

सदर जेतुद्दीन ख्वाजा ने तुजुके बाबरी का अनुवाद फारसी में किया था

यह अनुवाद अधूरा है, जिसमें खानवा युद्ध तक का ही जिक्र है

जिसके बाद 1583 में अकबर के आदेश से अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना ने इसका अनुवाद फारसी में पूरा किया