बुलंदशहर के सिकंदराबाद इलाके में 100 साल पुराना,



यह मंदिर चर्चा का विषय रहता है.



यह मंदिर कुत्ते की कब्र के नाम से मशहूर है.



यहां के लोग बताते हैं कि 100 साल पहले यहां एक लटूरिया बाबा रहते थे.



लोग कहते हैं कि लटूरिया बाबा को आंखों से दिखाई नहीं देता था.



लटूरिया बाबा का कुत्ता ही उनका सहारा था.



लटूरिया बाबा का कुत्ता बाजार से सामान लाने तक जाता था.



100 साल पहले जब बाबा ने समाधि ली तो कुत्ता भी उनकी समाधि में कूद गया.



कुत्ते को समाधि से बाहर निकाला जाता लेकिन बार-बार वह समाधि में कूद जाता.



इसके बाद प्राण त्यागने से पहले बाबा ने लोगों से कहा कि



उनकी पूजा से पहले कुत्ते की पूजा की जाएगी.



इसके बाद यहां कुत्ते की समाधि बनवा दी गई.