वाराणसी का दशाश्वरमेध घाट यहां के प्रमुख घाटों में से एक है

इस घाट की गंगा आरती देशभर में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में काफी मशहूर है

बता दें इस घाट पर गंगा आरती की शुरुआत 1991 में हुआ थी

साल 1991 से यहां रोज लगातार शाम को 45 मिनट की आरती होती है

ऐसे में क्या आप जानते हैं इस घाट के पीछे की कहानी क्या है

अगर आप नहीं जानते तो आज जरूर जान लीजिए

काशी खंड में बताया गया है कि इस घाट पर ब्रह्मा जी द्वारा अश्वमेध यात्रा हुआ था

जिसकी वजह से 10 घोड़ों की बलि देनी पड़ी जिस कारण इसका नाम दशाश्वमेघ घाट पड़ा

वहीं दूसरी वजह से ये मानी जाती है यहां पर नागवंशी राजा वीर सिंह ने 10 बार अश्वमेध यज्ञ किया था

उनके यज्ञ के कारण इस घाट का नाम दशाश्वरमेध घाट पड़ा.