होली खुशियों, रंगों का त्योहार है

सिर्फ रंगों से ही नहीं, मथुरा-वृंदावन में तो फूलों, लड्डुओं से भी होली खेली जाती है

लेकिन क्या आप जाने हैं बनारस में चिता की राख से होली खेली जाती है

जिसे मसाने की होली के नाम से जाना जाता है

चिता की राख से होली खेलने की परंपरा कई वर्षों पुरानी है

यह होली देवों के देव महादेव को समर्पित है

मसान की होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना गया है

वहीं आज की बात करे तो गंगा घाटों पर लोकगीतों की तान अभी से सुनी जा सकती है

बनारस के गंगा घाट के किनारे कलाकारों की महफिल जमीं है

महफिल में रंग-भंग, ठंडई, बनारसी पान और नाच गाने के साथ होली की खुशियां मनाई जा रही हैं