उत्तर प्रदेश शासन की पहचान बनी दो मछलियां जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं
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उत्तर प्रदेश शासन की पहचान बनी दो मछलियां जो राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं



इन मछलियों का इतिहास अवध के नवाबों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इन्हें अपना राजचिह्न बनाया
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इन मछलियों का इतिहास अवध के नवाबों से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इन्हें अपना राजचिह्न बनाया



नवाब सआदत अली खान ने इसे शुभ मानते हुए अपनी राजधानी लखनऊ में मछलियों की नक्काशी करवाने का आदेश दिया
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नवाब सआदत अली खान ने इसे शुभ मानते हुए अपनी राजधानी लखनऊ में मछलियों की नक्काशी करवाने का आदेश दिया



मछलियों को ईरानी संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है जहां इसे सम्मान और शुभता का प्रतीक माना जाता है
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मछलियों को ईरानी संस्कृति में विशेष स्थान प्राप्त है जहां इसे सम्मान और शुभता का प्रतीक माना जाता है



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कहानी है कि नवाब सआदत अली खान जब गोमती नदी के जरिए लखनऊ आ रहे थे



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तो अचानक उनकी नाव पर मछली उछल कर गिरी, नाविक ने इसे शुभ संकेत बताया



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इस बात से प्रभावित होकर नवाब सआदत अली ने कई इमारतों पर मछलियां बनाईं



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ब्रिटिश शासन के दौरान इस परंपरा को महत्व नहीं दिया गया लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसे अपनाया गया



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उत्तर प्रदेश पुलिस की मुहर में भी इन मछलियों का प्रतीक शामिल है जो राज्य की पहचान का हिस्सा बन गई है



यह प्रतीक लखनऊ की 300 साल पुरानी सांस्कृतिक धरोहर और समृद्ध इतिहास को दर्शाता है