आज देशभर में दशहरा का त्योहार मनाया जा रहा है

दशहरा विजय का प्रतीक है और भारतीय संस्कृति की गंगा-जमुनी तहजीब का अद्वितीय उदाहरण है

वाराणसी, जो आस्था और धर्म की नगरी मानी जाती है, दशहरे पर हर साल यहां एकता का उदाहरण प्रस्तुत करता है

वहीं, आज हम बात करने वाले हैं वाराणसी के एक मुस्लिम परिवार की

यह परिवार तीन पीढ़ियों से दशहरे पर रावण का पुतला बनाता आ रहा है

इस बार वे उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े रावण के पुतले को तैयार कर रहे हैं इस पुतले की ऊंचाई 75-80 फीट होगी

शमशाद और उनके परिवार ने रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले बनाने की कला अपने पूर्वजों से सीखी है

इस परंपरा की शुरुआत उनके नाना ने की, और अब शमशाद के 12 परिवार के सदस्य इसे निष्ठा से निभाते हैं

हर साल, दशहरे से डेढ़ महीने पहले ही खान परिवार इस काम में लग जाता है

हर साल दशहरे पर ये पुतले वाराणसी की गलियों में शोभायात्रा के बाद जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देते हैं