पाकिस्तानी गीतकारों की गाई हुई कव्वालियां और गजलें काफी मशहूर हैं

इनमें से एक है ताजदार-ए-हरम जो एक मशहूर नातिया कलाम है

जिसे पाकिस्तानी गायक आतिफ असलम ने कोक स्टूडियो में गाया है

इस कव्वाली को लिखने वाले भारतीय कवि हैं.

ताजदार-ए-हरम कव्वाली को मोहम्मद शफीक जिन्हें पयाम सिहालवी के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने लिखा था

हजरत मखदूम शाह मीना रहमतुल्लाह के दरबारी कव्वाल सिद्धी साहब के बेटे थे

हजरत मखदूम शाह मीना रहमतुल्लाह अलैह लखनऊ के सबसे बड़े सूफी संत थे

यह नातिया कलाम आज भी सूफी संगीत और कव्वाली के प्रेमियों में बहुत प्रसिद्ध है

ताजदार-ए-हरम को सबसे पहली बार 1990 में साबरी भाइयों ने अपनी आवाज दी थी

इस नातिया कलाम के अल्फाज को सुनकर रूहानी सुकून का एहसास होता है