हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव की ओर से बसाई गई वाराणसी को मोक्ष का द्वार कहा जाता है

यहां पर जीव, जंतु और मानव अगर अपने प्राण त्यागते हैं तो उन्हें जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है

लाखों लोग देश-दुनिया से गंगा में स्नान करने और भगवान विश्वनाथ के दर्शन के लिए आते हैं

कई श्रद्धालु यहां से जल अपने घर ले जाते हैं, लेकिन बनारस से जल लाना पाप के योग्य माना जाता है

जगद्गुरु शंकराचार्य के अनुसार, यह जल वहां की पवित्रता को भंग करता है

जल को केवल वहां के पवित्र स्थानों पर ही इस्तेमाल करना चाहिए इससे गंगा जल की शुद्धता और महत्व बना रहता है

काशी से गंगाजल न लेने का कारण यह है कि लोग मोक्ष पाने के लिए यहां आते हैं, चाहे वे जीवित हों या मृत

जब मृतक को चिता पर जलाया जाता है, उनकी राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है

अगर संयोग से गंगाजल में मृतक के अवशेष आ जाते हैं, तो यह पुनर्जन्म के चक्र को बाधित कर सकता है

इससे आत्मा को पूर्ण मोक्ष नहीं मिल पाता है इसलिए काशी से गंगाजल ले जाना वर्जित है.