प्रेम की परिभाषा सबके लिए एक जैसी नहीं होती

प्यार के मायने हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं

हकीकत में देखा जाए तो प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता

ये प्रेम किसी से भी हो सकता है, ये जरूरी नहीं कि प्यार सिर्फ दो लोगों के बीच ही हो

किसी को अपने कुत्ते से प्यार है तो किसी को उसकी आदतों से है

लेकिन यदि प्रेम में स्वार्थ आ गया तो वह प्रेम नहीं हो सकता

प्रेम तीन प्रकार के होते हैं, तो चलिए जानते हैं

पहला प्रेम जो आकर्षण से पैदा होता है इसमे मोहभंग हो जाता है

दुसरा प्रेम सुख सुविधा के लोभ से पैदा होता है इसमें उत्साह या खुशी नहीं होती है

तीसरा दिव्य प्रेम, यह सदाबहार है और सदैव बना रहता है