हज करना इस्लाम में पवित्र माना जाता है. इस्लाम में मुसलमानों के लिए हज करना फर्ज है



फर्ज हज को ही हज-ए-अकबर कहा जाता है.



इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती तारिक मसूद ने बताया कि हज ए अकबर वो हज होता है, जिसे इस्लाम में फर्ज बताया गया है.



आर्थिक और शारीरिक रूप से मजबूत मुसलमानों के लिए हज फर्ज है.



उन्हें जिंदगी में एक बार मक्का-मदीना जाकर हज करना जरूरी होता है.



इस्लाम के पांच फर्ज में हज, कलमा, रोजा, नमाज और जकात हैं



हज के दौरान मुसलमान मक्का-मदीना जाते हैं. हज तीर्थयात्री प्रसिद्ध मस्जिद अल हरम और काबा के दर्शन करते हैं



हज एक निश्चित समय पर किया जाता है.



इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने जिलाहिज्ज में हज किया जाता है



इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती तारिक मसूद ने यह भी बताया कि उमराह को हज-ए-असगर कहते हैं



उमराह छोटा हज होता है, जिसके लिए कोई समय निश्चित नहीं है.



मुसलमान उमराह के लिए पूरे साल कभी भी जा सकते हैं