इस्लाम में शादी यानी कि निकाह के कुछ नियम-कायदे शौहर और बीवी को फॉलो करने होते हैं. उन्हें इद्दत का ध्यान रखना पड़ता है, इसे नजरअंदाज करने पर निकाह नाजायज कहा जाता है. आइए समझते हैं कि ये इद्दत क्या है?



इस्लाम में शादियां शरिया कानून के मुताबिक होती हैं. शरियत के मुताबिक, किसी मुस्लिम महिला के शौहर का इंतेक़ाल यानी मृत्यु के बाद कुछ वक्त के लिए दूसरा निकाह करने पर पाबंदी होती है. इसको इद्दत कहा जाता है.



इद्दत के वक्त यानी एक तय समय के लिए महिला दूसरा निकाह नहीं कर सकती. इस तय किए गए वक्त को ही इद्दत कहा जाता है. इद्दत की मान्यता शरिया कानून से ही आई है.



इन दिनों इद्दत पाकिस्तान में एक मुद्दा बन गया है, जिसकी वजह हैं वहां के पूर्व पीएम- इमरान खान और उनकी बीवी बुशरा. काजी का कहना है कि, इन दोनों का निकाह इद्दत का वक्त पूरा होने से पहले ही हो गया था.



इमरान खान और बुशरा बीवी के निकाह करवाने वाले काज़ी मौलवी मुफ्ती सईद का कहना है कि उनका निकाह इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक नहीं हुआ था. मौलवी कहते हैं- यह निकाह 2018 में बुशरा बीवी की इद्दत के दौरान हुआ था, जो जायज़ नहीं है.



मौलवी मुफ्ती सईद के मुताबिक, पूर्व पाक पीएम इमरान खान से बुशरा बीवी ने तब निकाह किया, जबकि उनके शौहर की मौत हो गई थी और उन्हें इद्दत का पालन करना था.



काजी कहते हैं कि इस्लाम में इद्दत का वक्त 4 महीने 10 दिन का होता है. इस दौरान महिला पर गैर-मर्दों से पर्दा भी जरूरी होता है. यदि किसी महिला के शौहर की मौत हुई हो तो उसे इस अवधि में दूसरा निकाह नहीं करना होता.



जामिया मिल्लिया इस्लामिया में डिपार्टमेंट ऑफ इस्लामिक स्टडी के प्रोफेसर, जुनैद हारिस कहते हैं कि लोगों में एक आम धारणा में तलाक के बाद कुछ वक्त तक शादी पर रोक को भी इद्दत का वक्त कहा जाता है. हालांकि, इसके लिए सही लफ्ज़ क़ुरू, यानी क़ुरू का वक्त है.



इद्दत क्यों जरूरी है? इस पर इस्लामिक प्रोफेसर ने कहा कि इद्दत का वक्त मुसलमानों में इस भम्र को दूर करने के लिए तय किया गया है कि महिला प्रेग्नेंट तो नहीं है.



क्योंकि इद्दत का वक्त पूरा न हो और फिर महिला की प्रेग्नेंसी का पता चले तो उस बच्चे पर सवाल उठ सकते हैं. बच्चे पर सवाल न उठें, इसलिए इद्दत फॉलो करना होता है.



इस्लामिक प्रोफेसर के मुताबिक, इद्दत के दौरान महिला को ये छूट होती है कि यदि उसका कोई सहारा नहीं हो तो वो घर से बाहर जा सकती है. उसे खुद को एक कमरे में कैद रखने की जरूरत नहीं है.



इद्दत की अवधि तक, महिला अपने घर के कामों में व्यस्त रह सकती है. खुद को नेक कामों में लगा सकती है या अल्लाह की इबादत कर सकती है.



इद्दत के दौरान महिला के मेकअप या सजने-संवरने पर पाबंदी होती है. इस दौरान उसके चमकीले कपड़े पहनने की भी मनाही होती है.