आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का जिक्र आते ही उनकी उर्दू शायरी और हिंदुस्तान से उनकी मोहब्बत की भी बात होती है

1857 में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की चिंगारी भड़की

तब सैनिकों और राजा महाराजाओं ने बहादुर शाह जफर को हिंदुस्तान का सम्राट माना

उनकी अगुवाई में लड़ी गई यह लड़ाई कुछ ही दिन चली

इस विद्रोह में भारतीय सैनिकों को हार का सामना करना पड़ा

लेकिन 1857 विद्रोह ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया

यह विद्रोह भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अंत का कारण बना

इसके बाद पूरे भारत में आजादी की बिगुल फूंक दी गई

हालांकि इस विद्रोह के बाद 21 सितंबर 1857 को मुगल बादशाह जफर को गिरफ्तार कर लिया गया

जिसके बाद अंग्रेजों ने उन पर मुकदमा चलाया

मुकदमा के बाद उनको रंगून भेज दिया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली