आज कल लोगों में नींद की बीमारी का होना आम बात हो गई है

रिसर्च के मुताबिक, दुनिया में 22 प्रतिशत लोगों नींद ना आने की परेशानी है

प्रोफेसर स्पेंसर डॉसन ने इस पर रिसर्च किया है

उन्होंने स्लीप क्लीनिक पर आए 5 हजार मरीजों पर ध्यान केंद्रित किया

पता चला कि इस परेशानी का लंबे समय से चल रहे हेल्थ इशू से संबंध होता है

जिसमें डायबिटीज, हृदवाहिनी रोग और डिप्रेशन शामिल हैं

डॉसन के अनुसार, बार बार घड़ी देखने से भी नींद पर असर पड़ता है

ऐसा करने से इनसोम्निया के लक्षण और खराब हो जाते हैं

वो अनुमान लगता है कि नींद कब तक आएगी और वे कब तक उठ पाएंगे