अंग्रेजों को नाकों चने चबवाने वाली बेगम हजरत महल का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है
1857 की क्रांति में बेगम हजरत महल ने अंग्रजों के खिलाफ शानदार जंग लड़ी थी
लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह ने 365 से ज्यादा शादियां की थीं और हजरत महल भी उनकी बेगम थीं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, बेगम हजरत महल की खूबसूरती और प्रतिभा से वाजिद अली शाह आकर्षित हो गए और उन्हें अपनी अस्थाई बेगम बना लिया.
फिर साल 1845 में हजरत महल ने एक बेटे को जन्म दिया. इससे महल में उनका रुतबा बढ़ गया.
हजरत महल की इन खुशियों को नजर लग गई और बेटे के जन्म के 5 साल बाद ही वाजिद अली शाह ने उन्हें तलाक दे दिया. इतना ही नहीं उन्हें अपने हरम से भी निकाल दिया.
अ बेगम एंड द रानी हजरत महल एंड लक्ष्मीबाई इन 1857 में लिखा है कि जब हजरत महल का बेटा नवाब और मुगल बादशाह का गवर्नर बना तो उन्हें बेगम का दर्जा दोबारा मिल गया
अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह और मुकाबला करने के सारे फैसले हजरत महल लखनऊ की तारा कोठी के दरबार में लिया करती थीं.
साल 1857 में आजादी की पहली लड़ाई लड़ी गई थी तब हजरत महल अकेली नेता थीं, जिन्हें अंग्रेज कभी पकड़ नहीं पाए.
विद्रोह के दौरान हजरत महल ने बेटे और समर्थकों के साथ नेपाल में बूंदी के किले में शरण ली थी. साल 1879 तक जीवित रहने के बाद नेपाल में ही उनकी मौत हो गई.