'संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे' यह लाइन तो आपने सुनी ही होगी

क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों कहा जाता है?

दरअसल साल 1981 में अंडे का व्यापार ठप पड़ गया था

इस व्यापार से जुड़ा हर इंसान घाटे में चल रहा था

स्थिति को सुधारने के लिए डॉ बीवी राव ने राष्ट्रीय अंडा समन्वय समिती बनाई

इस समिति का उद्देश्य अंडे के व्यापार को बढ़ाना था

समिति ने अंडे के व्यापार को बढ़ाने के लिए कई विज्ञापन किए

इसी बीच देवांग पटेल ने अंडे के एक विज्ञापन में एक गाना गाया

जो देश के हर व्यक्ति के दिमाग में बैठ गया

इस गाने का नाम था- 'संडे हो या मंडे रोज खाओ अंडे'.