क्या आपने कभी सोचा है कि साधु और सन्यासी भगवा रंग ही क्यों पहनते हैं? भगवा शब्द भगवान से बना है जिसका अर्थ देवता या त्याग करने वाला होता है. धार्मिक मान्यता है कि एक बार पार्वती के मन में त्याग की इच्छा उत्पन्न हुई. उन्होंने जब अपनी नसें काटी तो उनके कपड़े केसरिया खून से रंग गए. हिंदू धर्म में अग्नि का भी बहुत महत्व है. और अग्नि के सबसे करीब भगवा रंग को माना गया है. भगवा रंग अग्नि के अलावा संध्या और सूर्योदय को दिखाता है. यह रंग शुद्धता का प्रतीक माना गया है. भगवान हनुमान की आराधना में भी इस रंग के सिंदूर इस्तेमाल होता है. इसे ब्रह्मचर्य का रंग भी माना जाता है. वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो भगवा पहनना सेहत के लिए भी अच्छा माना गया है. इस रंग में आध्यात्मिक शक्ति और हीलिंग पावर पाई गई है.