कई लोगों ने आपको मंदिर जाने की राह पर टोका होगा और कहा होगा कि बाल खोलकर मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए.

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क्या आप जानती हैं कि बाल खोलकर मंदिरों में जाने की मनाही क्यों होती है?

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माना जाता है कि बाल खोलकर जाने से महिलाओं का ध्यान भगवान से ज्यादा बालों को संवारने में लग जाता है.

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पुराणों के मुताबिक, बालों को खुला रखना नकारात्मकता की निशानी है. ऐसा करना क्रोध का प्रतीक माना जाता है.

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रामायण और महाभारत में खुले बालों का संबंध गुस्से और आक्रोश से जोड़ा गया है.

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रामायण में महाराजा दशरथ ने जब श्री राम को राज गद्दी सौंपने का फैसला किया था.

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तब महारानी कैकेयी उनसे क्रोधित होकर अपने बाल खोलकर कोप भवन में चली गईं थीं.

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महाभारत में द्रौपदी ने भी अपने बाल गुस्से में खुले रखे थे.

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माना जाता है कि जो महिलाएं बाल खोलकर पूजा करती हैं, उनकी पूजा भगवान स्वीकार नहीं करते हैं.

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खुले बालों के कारण नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश जल्दी होता है. इसे भगवान का अपमान भी माना जाता है.