चूड़ियां सिर्फ ट्रेंडी दिखने का जरिया नहीं है. शादी के बाद चूड़ियां पहनने का धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक कारण भी है. चूड़ियां पहनने से कलाई में लगातार घर्षण होता है जिससे खून का संचार अच्छे से होता है. औरत के गर्भ में पल रहा बच्चा अपनी माँ की चूड़ियों की आवाज को महसूस भी कर सकता है. इसलिए भारत में जब गोद-भराई की रसम होती है तब गर्भवती महिला को कड़े और चूड़ियां पहनाई जाती है. रंगीन चूड़ियों से मन शांत होता है और आंखों को भी आराम मिलता है. माना जाता है कि हरा रंग शांत स्वभाव के लिए , लाल रंग बुरी ऊर्जा को दूर करने के काम आता है. ऐसे में कहा जाता है कि चूड़ियों की आवाज से नवविवाहित महिलाओं को नजर नहीं लगती. चूड़ियों की खन- खनाहट से बुरी ऊर्जा महिलाओं से दूर रहती है. सोने और चांदी की चूड़ियों को पहनने से स्वस्थ भी सुधरता है. माना जाता है कि चूड़ियों से उनकी मेटैलिक प्रॉपर्टी शरीर में प्रवेश करती है.