खगोलविदों को हाल में ऋग्वेद में लगभग 6000 साल पहले लिखा सूर्यग्रहण का सबसे पुराना उल्लेख मिला है
1500 ईसापूर्व में लिखा गया ऋग्वेद ऐतिहासिक घटनाओं के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विचारधाराओं से सबंधित कथनों और भजनों का संग्रह है
टाटा इंस्टीट्यूट के खगोलविद मयंक वाहिया और जापान के खगोलविद मित्सुरु सोमा ने बताया है कि उन्हें एक प्राचीन ग्रहण का उल्लेख मिला है
ऋग्वेद के विभिन्न भागों में उगते सूर्य के स्थान का उल्लेख किया गया है जिसमें एक संदर्भ बताया गया है कि यह घटना ओरियन में हुई थी जबकि दूसरे में कहा गया है कि यह प्लीएड्स में हुई थी
मौजूदा समय में वसंत विषुव मीन राशि में हैं लेकिन यह लगभग 4500 ईसा पूर्व ओरियन और लगभग 2230 ईसा पूर्व प्लीएड्स में हुआ था
इससे खगोलविदों के लिए उस समय अवधि का पता लगाना संभव हुआ, जब सूर्य ग्रहण की यह घटना घटी थी
ऋग्वेद सूर्य के अंधकार और दुष्ट प्राणियों द्वारा सूर्य की जादुई कलाओं को लुप्त करने के बारें में बात करते हैं
इन उल्लेखों के बाद के अंशो ने खगोलविदों को पूर्ण सूर्य ग्रहण की समय सीमा को भी बताया है जिससे पता चलता है कि यह घटना शरद विषुव से तीन दिन पहले हुई थी