शनि हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है, यह अपने शानदार छल्लों के लिए प्रसिद्ध है
शनि के छल्ले अरबों बर्फीले कणों और छोटे चट्टानों के टुकड़ों से मिलकर बने हुए है, इन छल्लों ने सदियों से खगोलविदों और अंतरिक्ष प्रेमियों को उत्साहित किया है
Earth.com के अनुसार शनि के ये छल्ले 2025 में गायब हो जाएंगे, ऐसे में शनि के इन छल्लों को देख नहीं पाएंगे
यह घटना इसलिए होती है क्योंकि शनि ग्रह 26.7 डिग्री धुरी पर घूमता है और पृथ्वी के छल्लों के समय के साथ बदलता रहता है
एक समय ऐसा आएगा कि हम धरती से शनि के छल्लों को नहीं देख पाएंगे
शनि से छल्लों का यह परिवर्तम अस्थाई होता है यह शनि के सूर्य की परिक्रमा करने पर हर 29.5 साल में दोहराया जाता है
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के भौतिकी और खगोल विज्ञान के प्रोफेसर वेह पेरुमियन ने बताया कि हर 13 से 15 साल में धरती शनि के छल्लों को किनारे से देखती है, जिसका तात्पर्य है कि उन्हें देखना बहुत मुश्किल है
शनि के छल्लों का उत्पत्ति खगोलविदों के बीच बहस का विषय बनी हुई है इनमें शनि के गुरुत्वाकर्षण से नष्ट किए गए चंद्रमा या धूमकेतु के अवशेषों से लेकर ग्रह के निर्माण से बचे हुए पदार्थ के सिद्धांत शामिल है