US डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का संविधान केवल पारसी, यहूदियों और ईसाइयों को धार्मिक अल्पसंख्यकों के रूप में मान्यता देता है



ईरान का संविधान हिंदू को धार्मिक अल्पसंख्यकों के रूप में मान्यता नहीं देता है



धार्मिक अल्पसंख्यकों के रूप में मान्यता न होने के कारण हिंदू धार्मिक समाज नहीं बना सकते हैं



हिंदू सामाजिक तौर पर ईरान में पूजा नहीं कर सकते हैं



हिंदू सिर्फ एक तय सीमा तक यानी अपने घरों में पूजा करने के बाध्य हैं



ईरान में हिंदू आबादी कुल आबादी का 0.2% है



ईरान में हिंदू मंदिर भी है, जो बंदर अब्बास शहर में है. ये हिंदू देवता भगवान विष्णु की मंदिर है



ईरान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर जुल्म की खबरें भी आती हैं