कुवैत, UAE और सऊदी अरब समेत कई खाड़ी देश ऐसे हैं, जहां पर प्रवासी मजदूर की हालात बेहद खराब है, क्योंकि यहां पर कफाला सिस्टम है.
बहरीन, कतर, कुवैत, ओमान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात देश शामिल हैं, लेकिन इनमें कुवैत की स्थिति सबसे खराब है.
मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर ने बताया कि लगभग 10.34 मिलियन भारतीय, 200 से ज्यादा देशों में रह रहे हैं.
कुवैत में लगभग 39 फीसदी प्रवासी रहते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा भारतीय हैं.
कामगार, जैसे कारपेंटर, राजमिस्त्री और ड्राइवरों की फिक्स तनख्वाह होती है और पेशेवरों, जैसे नर्स और इंजीनियरों की कमाई ज्यादा होती है, लेकिन मजदूरों की कोई फिक्स सैलरी नहीं होती.
कफाला सिस्टम के तहत एम्प्लॉयर का उसके कर्मचारी पर काफी ज्यादा अधिकार होता है, यानी कि कर्मचारी मालिक का गुलाम बन जाता है.
कुवैत में कामगारों को तनख्वाह भले ही ज्यादा मिल रही हो, लेकिन काम करने के घंटे तय नहीं होते हैं. उन्हें बहुत खराब ट्रीटमेंट मिलता है.
कर्मचारियों के मालिक उनका पासपोर्ट रख लेते हैं. वर्कप्लेस से वे भाग नहीं सकते. उनको छुट्टी भी नहीं मिलती है. जहां वे काम करते हैं उनकी रहने की व्यवस्था वहीं पर होती है.
कफाला के तहत एम्प्लॉयर कर्मचारी का ट्रैवल, रहने खाने का खर्चा उठाते है. वे उनसे जब चाहे काम करवाते हैं.
कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि कुवैत में कर्मचारियों के साथ नरक जैसा व्यवहार किया जाता है.
बहरीन, ओमान, कुवैत, यूएई, कतर और सऊदी अरब से साल 2019 से जून 2023 तक 48 हजार शिकायतें आई है.
कफाला सिस्टम की यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी आलोचना की है, हालांकि, आभी तक इसके खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाए.