बिश्नोई समुदाय की शुरुआत 15वीं सदी में गुरु जंभेश्वर ने की थी Joshuaproject के अनुसार भारत में बिश्नोई समुदाय की संख्या लगभग 7.48 लाख है बिश्नोई समुदाय के लोग राजस्थान के जोधपुर, बीकानेर और जैसलमेर में अधिक पाए जाते हैं इस समुदाय के 29 सिद्धांतों में पर्यावरण की सुरक्षा और जीवों की देखभाल को काफी महत्व दिया गया है गाय, बैल, हिरण, जंगली बकरियां और अन्य पशुओं के संरक्षण के लिए ये समुदाय प्रसिद्ध है अमृता देवी और उनके साथी 1730 में पेड़ बचाने के लिए शहीद हुए इस घटना ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति समुदाय के समर्पण को उजागर किया बिश्नोई समाज के लिए खेजड़ी, काजरी और बबूल का पेड़ बेहद महत्वपूर्ण है उनके लिए इन पेड़ों को जीवनदायिनी माना जाता है बिश्नोई समाज में पारिवारिक और सामाजिक एकता को बहुत महत्व दिया जाता है