क्या आप जानते हैं मुगल वंश की घुमक्कड़ शहजादी गुलबदन के बारे में? ये वो शहजादी थीं, जो मुगल वंश की तीन पीढ़ियों के साथ रहीं थीं.



गुलबदन बेगम भारत के पहले मुगल बादशाह बाबर की बेटी, हुमायूं की सौतेली बहन और अकबर की बुआ थी.



गुलबदन बेगम पहली महिला इतिहासकार थीं, जिसने बाबर, हुमायूं और अकबर के जीवन के बारे में दुनिया को बताया है. उनक इतिहास के बारे में लिखा.



अकबर के बादशाह के बनने के बाद गुलबदन बेगम उनके नए फतेहपुर सीकरी के महल में रहने लगी थी. वह कद में छोटी और तंदुरुस्त थीं. अकबर उनको मुगल परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला का सम्मान भी देते थे.



गुलबदन अपने परिवार की पहली महिला थी, जिन्होंने हजारों मील दूर हज पर जाने का फैसला किया था. मशहूर इतिहासकार रूबी लाल ने गुलबदन बेगम पर जीवनी लिखी. उसका नाम रखा वेगाबॉन्ड प्रिंसेस द ग्रेट एडवेंचर ऑफ गुलबदन.



रूबी लाल ने अपनी किताब में लिखा कि सितंबर 1576 में गुलबदन बेगम के साथ मुगल महिलाओं को दल दो नावों में सवार होकर सूरत से हज के लिए निकला था.



उनके पास दान देने के लिए 6000 रुपये थे. उनके ग्रुप में कुछ पुरुष भी शामिल थे क्योंकि उस समय मुस्लिम महिलाओं का अकेले बाहर निकलने की कल्पना भी नहीं की जाती थी.



यात्रा में सारे फैसले गुलबदन ही ले रही थी. वह मक्का में पूरे चार साल तक रही थीं, लेकिन एक साल पूरे होने पर वहां के शासक सुल्तान मुराद तृतीय ने उनको वहां से निकालने का आदेश दिया था.



गुलबदन के सऊदी में रहने के दौरान ऐसे 5 आदेश लाए गए. ये आदेश इसलिए लाए गए क्योंकि गुलबदन और उनके साथ जहां भी जाते लोग उनको ही देखते रहते.



गुलबदन ईरान के तीर्थस्थान मशद भी गई थीं. वह जहां भी जाती दंगा फसाद फैलाती, जो वहां के सुल्तान की नजर में गैर इस्लामिक था.



इसके बाद गुलबदन 1580 में जेद्दा से भारत के लिए रवाना हुई, लेकिन अदन के पास उनकी नौका डूब गई और उनको 7 महीनों तक वहीं रहना पड़ा था. लेकिन पूरे 7 साल बाद गुलबदन भारत लौटीं.



गुलबदन की हज पार्टी को लेने अकबर खुद गए थे. इसके बाद गुलबदन 20 साल और अकबर के दरबार में रहीं. सन 1603 में 80 साल की उम्र में उनकी मौत हो गई.