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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रूस और अमेरिका बीच तनातनी, जब रूस ने अमेरिका पर लगया यह आरोप
रूस और अमेरिका के बीच एक बार फिर से राजनयिक खींचतान शुरू हो गई. इसकी शुरूआत उस वक्त हुई जब अमेरिका ने सैन फ्रांसिस्को स्थित रूस के वाणिज्य दूतावास और दो राजनयिक एनेक्सियों को बंद करने के आदेश दिए.
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View In Appहालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ताजा तनाव के लिए ट्रंप प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से परहेज किया और सारा ठीकरा उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा पर फोड़ दिया.
लावरोव ने शुक्रवार को कहा, ‘‘रूस के हितों का जवाब जहां मिलेगा, वहां रचनात्मक सहयोग के लिए हम शुक्रवार को भी तैयार हैं. लेकिन ताली दो हाथों से बजती है और अब तक हमारा साझेदार बार-बार अकेले ही ब्रेक डांस कर रहा है.’’ रूसी विदेश मंत्री सितंबर में न्यूयॉर्क में अपने अमेरिकी समकक्ष से मिलने वाले हैं.
विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने एक बयान में कहा, ‘‘रूस में हमारे मिशन का आकार घटाने के रूसी फेडरेशन की सरकार के फैसले पर अमेरिका ने पूरी तरह अमल किया है.’’ अमेरिका ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों पक्ष ‘‘बदले की भावना से की जाने वाली और कार्रवाइयों से परहेज कर सकते हैं’’ और संबंधों में सुधार कर सकते हैं, लेकिन उसने चेतावनी भी दी कि वह ‘‘जरूरत पड़ने पर और कार्रवाई करने के लिए तैयार है.’’ रूस के विदेश मंत्रालय ने ‘‘तनाव बढ़ने पर अफसोस’’ जताया और कहा कि वह अमेरिका की ओर से उठाए गए कदमों का विश्लेषण करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करेगा.
रूस के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को अमेरिकी अधिकारियों पर रूसी नागरिकों की ‘सुरक्षा’पर चोट करने और सैन फ्रांसिस्को वाणिज्य दूतावास में एफबीआई की जांच के साथ राजनयिकों को निकाले जाने पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया जखरोवा ने एक बयान में कहा, ‘‘अमेरिकी अधिकारियों की मांग से रूसी नागरिकों की सुरक्षा को सीधा खतर पैदा हुआ है.’’
वॉशिंगटन ने कहा कि कल ‘‘समानता की भावना’’ के तहत उसने सैन फ्रांसिस्को स्थित रूस के वाणिज्यिक दूतावास और वॉशिंगटन एवं न्यूयॉर्क स्थित दो राजनयिक एनेक्सियों को बंद करने के आदेश दिए थे. यह आदेश तब दिए गए जब मॉस्को ने जुलाई में मांग की कि वह अपने कूटनीतिक कर्मियों की संख्या में कमी लाए.
अमेरिका ने यह जवाबी कार्रवाई ऐसे समय में की है जब रूस स्थित अमेरिकी राजनयिक मिशन में कर्मियों की संख्या घटाने की क्रेमलिन की मांग पर वॉशिंगटन द्वारा अमल करने की समयसीमा शुक्रवार को यानी एक सितंबर को पूरी हो गई. परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशों के बीच इस तनातनी से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से रिश्ते सुधारने की कोशिशों को एक और झटका लगा है.
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