Biography of Mahatma Gandhi: 2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के रूप में मनाता है. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी (Mohan Das Karamchand Gandhi) था, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में आगे रहने वाले नेता होने के कारण इन्हें एक उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवादी के रूप में याद किया जाता है. जो एक वकील, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी से भी बढ़कर थे.
गांधीजी की अहिंसक रणनीति पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुई, जिसने सिर्फ भारत में ही नही, बल्कि मार्टिन लूथर किंग (Martin Luther King) सहित दुनियाभर के कुछ महान स्वतंत्रता सेनानियों को भी प्रभावित किया. इन्होंने देश के लिए न सिर्फ आजादी की लड़ाई लड़ी, बल्कि समाज सुधार के कार्य भी किए. इसीलिए हर साल 2 अक्टूबर को पूरा देश गांधी जयंती के रूप में बापू के योगदान को याद करता है.
मतों के अनुसार, रवींद्रनाथ टैगोर (Ravindra Nath Tagore) ने उन्हें महात्मा (Mahathma) की उपाधि दी थी. उस समय गांधीजी को अपने प्राथमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज तक कईं चुनौतियों का सामना करना पड़ा था, लेकिन इन चुनौतियों के बाद भी वह अपने लक्ष्यों को पूरा करने में कामयाब रहे और दुनिया भर के कई लोगों को अपने विचारों से प्रेरित किया. आइए जानते हैं बापू की स्कूली शिक्षा (Mahatma Gandhi Education) से लेकर उनके बैरिस्टर बनने तक का सफर.
सरकारी विद्यालय से की थी पढ़ाई
बापू की प्राथमिक शिक्षा गुजरात (Gujrat) के पोरबंदर शहर में संपन्न हुई थी. प्रभावशाली व्यक्तित्व होने के कारण गांधी अपने स्कूल के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों में से एक थे, लेकिन इसके विपरीत बापू एक बहुत ही औसत छात्र थे. ये शिक्षा या किसी खेल गतिविधि में बहुत कुशल नहीं थे. बापू जिस स्कूल में थे, वह केवल लड़कों का स्कूल था और भारत के पश्चिमी तट पर स्थित था. बाद में बापू राजकोट चले गए और 11 साल की उम्र में अल्फ्रेड हाई स्कूल (लड़कों का स्कूल ) में स्कूल प्रवेश लिया. यहां उनके प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ. हाई स्कूल में उन्हें अंग्रेजी सहित विभिन्न अन्य विषयों के एक अच्छे छात्र के रूप में पहचाना जाने लगा.
कॉलेज शिक्षा
बापू की शादी 13 साल की काम उम्र में हो गई थी जिसके चलते हाई स्कूल जीवन बापू के लिए एक चुनौती बन गया था और पिता के बीमार पड़ने ने चुनौतियों को और बुलंद कर दिया. चुनौतियों के बीच हाई स्कूल पास कर इन्होंने समालदास आर्ट्स कॉलेज में दाखिला लिया. यह एकमात्र संस्थान था जो डिग्री प्रदान कर रहा था. कुछ समय बाद गांधी ने कॉलेज छोड़ दिया और वापस अपने परिवार के पास पोरबंदर में आ गए, लेकिन फिर कॉलेज वापस आकर कानून की पढ़ाई पूरी की.
फिर इन्होंने इंग्लैंड में अध्ययन करने का फैसला किया, लेकिन इस विचार पर परिवार सहित समाज किसी का समर्थन नहीं मिला. बापू ने अपने परिवार और अन्य लोगों को मना लिया और शराब न पीने, मांस न खाने और अन्य महिलाओं के साथ संबंध न बनाने का संकल्प लेकर अपनी पढ़ाई के लिए विदेश निकल पड़े.
लंदन से किया था ग्रेजुएशन
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (University College London - UCL) से 3 साल में सफलतापूर्वक कानून की डिग्री पूरी की. अपने लिए हुए संकल्प का सम्मान करते हुए बापू अंग्रेजी संस्कृति को अपनाने में कामयाब रहे. लंदन में अपनी पढ़ाई के दौरान ही बापू ने अपने शर्मीले स्वभाव को सुधारा. बापू एक सार्वजनिक बोलने वाले समूह में शामिल हो गए, जिसमें रह कर वे एक अच्छा सार्वजनिक वक्ता बन गए.
यूसीएल से ग्रेजुएशन पूरी कर गांधी अपने परिवार के पास घर लौट आए. अपनी प्राथमिक शिक्षा से कॉलेज तक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद गांधी जी (Gandhi Ji) एक सफल करियर बनाने में कामयाब रहे, और अपने विचारों और सूझ बूझ से भारत (India) को स्वतंत्र कराया.
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