सिख धर्म में कैसे होता है अंतिम संस्कार, हिंदुओं से कितने अलग होते हैं इनके रीति रिवाज?
Manmohan Singh Funeral: मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सिख धर्म का रीति रिवाज के अनुसार होगा. जानें सिख धर्म के रीति रिवाज हिंदू धर्म के अंतिम संस्कार के रीति रिवाज से कितने अलग होते हैं.
Manmohan Singh Funeral: 26 दिसंबर की देर रात भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया. आज यानी 28 दिसंबर को सुबह 11:45 बजे दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा. देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राजकीय सम्मान के साथ आखिरी विदाई दी जाएगी.
मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार सिख धर्म का रीति रिवाज के अनुसार होगा. अंतिम संस्कार को लेकर भारत में अलग-अलग धर्म के रीति रिवाज अलग-अलग तरह के होते हैं. चलिए आपको बताते हैं सिख धर्म के रीति रिवाज हिंदू धर्म के अंतिम संस्कार के रीति रिवाज से कितने अलग होते हैं.
ऐसे होता है सिख धर्म में अंतिम संस्कार
सिख धर्म में अंतिम संस्कार कुछ कुछ हिंदू धर्म की तरह ही होता है. जिस तरह हिंदू धर्म में शव को जलाया जाता है. उसी तरह सिख धर्म में भी शव को जलाया जाता है. हालांकि हिंदू धर्म में महिलाओं को शमशान घाट जाने की इजाजत नहीं होती. लेकिन सिख धर्म में महिलाएं भी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल हो सकती हैं. सिख धर्म में जब किसी की मृत्यु हो जाती है. तो शमशान घाट में उसे ले जाने से पहले उसके पार्थिव शरीर को नहलाया जाता है.
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इसके बाद सिख धर्म की पांच सबसे जरूरी चीजें जिनमें कंघा, कटार, कढ़ा, कृपाल और केश इन सबको ठीक किया जाता है. इसके बाद जिस व्यक्ति की मृत्यु हुई है. उसके परिवारों के और करीबी लोग वाहेगुरु का जाप करते हुए अर्थी के साथ शमशान घाट तक जाते हैं. बेटा या फिर कोई करीबी इसके बाद चिता को मुखाग्नि देता है.
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10 दिन तक निभाई जाती है रस्में
शव जलाने के बाद सिख धर्म में अगले 10 दिन तक अलग-अलग तरह की रस्में निभाई जाती हैं. शमशान घाट से वापस आने के बाद सभी लोग पहले नहाते हैं और उसके बाद शाम को अरदास में शामिल होते हैं. फिर सिख धर्म के प्रमुख ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है. यह पाठ अगले 10 दिनों तक चलता है. गुरु ग्रंथ साहिब के पाठ में जो लोग शामिल होते हैं. उन सभी को कड़हा प्रसाद दिया जाता है. प्रसाद देने के बाद फिर से भजन कीर्तन जारी रहता है. इसके बाद फिर से सभी लोग भजन कीर्तन करते हैं और मृतक की आत्मा की शांति के लिए अरदास करते हैं.
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