Statue of Liberty : दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति का नाम स्टेच्यू ऑफ यूनिटी (Statue Of Unity) है. यह भारत के गुजरात राज्य में स्थित है. इससे पहले यह खिताब न्यू यॉर्क के लिबर्टी आइलैंड पर लगी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (Statue Of Liberty) के नाम था. स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी लगभग 136 साल पुरानी है, जिसका लोकार्पण 28 अक्टूबर 1886 को तत्‍कालीन अमेरिकी राष्‍ट्रपति ग्रोवर क्लीवलैंड ने किया था. मूर्ति में बने व्यक्ति के एक हाथ में किताब है और दूसरे हाथ में एक मशाल, जिसके सिर पर बने मुकुट से सात किरणें निकल रही हैं. इस मूर्ति को फ्रांस में बनाया गया था. यह इतनी भव्‍य थी कि इसे फ्रांस से अमेरिका लाना आसान नहीं था. आइए जानते हैं इस मूर्ति के बारे में कि मुकुट में बनी सात किरणें किस बात का प्रतीक हैं और क्यों इस मूर्ति के 350 टुकड़े हुए थे. पढ़िए पूरी खबर. 


स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी को फ्रांस में बनाया गया था. जुलाई 1884 में यह मूर्ति पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी. स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी फ्रांस और अमेरिका के बीच दोस्‍ती का प्रतीक है. सन 1876 में फ्रांस में इसे बनाने का काम शुरू हुआ, जिसे पूरा होने में लगभग 8 साल लग गए. 8 साल बाद यह मूर्ति बनकर तैयार हुई थी. इसको बनाने में कई तरह की धातुओं का प्रयोग किया गया. मूर्ति में लगे कॉपर का वजन 31 टन और स्‍टील का वजन 125 टन है. 


इसीलिए किए गए 350 टुकड़े 


मूर्ति बनकर तैयार हो जाने के बाद इसे फ्रांस से न्‍यू यॉर्क लाना एक बड़ी चुनौती थी. इसलिए इस मूर्ति के 350 टुकड़े किए गए और इन टुकड़ों को 214 बक्‍सों में रखकर न्‍यू यॉर्क लाया गया था. न्‍यू यॉर्क में इसे वापस से असेंबल किया गया और इस तरह यह अमेरिका के प्रतीक के तौर पर फेमस हुई. बात स्‍टेच्‍यू में लगे मुकुट से निकल रही 7 किरणों की करें तो ये 7 किरणें दुनिया के 7 महाद्वीपों और 7 महासागरों का प्रतीक हैं. मुकुट से निकलने वाली किरणों की लम्‍बाई 9 फीट और वजन 68 किलोग्राम है. 


अन्य जानकारी 


मूर्ति के बाएं हाथ में एक नोटबुक है. ध्‍यान से देखेंगे तो पाएंगे कि इस पर JULY IV MDCCLXXVI लिखा है. जिसका मतलब है 4 जुलाई, 1776. यह अमेरिका की आजादी की तारीख है. इसकी स्थापना के करीब 98 सालों बाद 1984 में यूनेस्को ने इसे ग्लोबल हेरिटेज साइट घोषित किया था. 225 टन के इस स्‍टेच्‍यू ऑफ लिबर्टी की लम्‍बाई 305 फीट 6 इंच है. 1986 में स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी का रेस्‍टोरेशन किया गया, जिसमें मूर्ति के हाथ में मौजूद मशाल पर 24 कैरेट सोने की लेयर चढ़ाई गई. 


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